कुंभ के दौरान उन विशाल लकड़ियों का विशेष महत्व होता है जिन पर अखाड़ों की धर्मध्वजा स्थापित होती है। मेलाधिकारी ने सबसे पहले बैरागी अखाड़ों में स्थापित होने वाली धर्मध्वजा के लिए लकड़ियां सौंपी। धर्मध्वजा स्थापित होने के बाद ही अखाड़ों में कुंभ के मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं। बीते दिनों अखाड़ा परिषद ने मेला प्रशासन के अधिकारियों के साथ छिद्दरवाला के जंगलों में धर्म ध्वजा स्थापित करने के लिए अपने-अपने पेड़ों का चयन किया था। मेला प्रशासन द्वारा यह पेड़ अखाड़ों को उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
मेला प्रशासन ने सबसे पहले धर्म ध्वजा के इन पेड़ों को बैरागी संप्रदाय के अखाड़े के सुपुर्द किया। मौके से पेड़ों को कटवा कर उनका छिलान कराया गया, जिसके बाद उन्हें अखाड़ों के सुपुर्द कर दिया गया। दिगंबर अखाड़े के सचिव प्रतिनिधि बाबा हठयोगी ने कहा कि मेला अधिकारी स्वयं धर्म ध्वजा की लकड़ी लेकर उनके पास आए हैं, इससे साफ जाहिर हो जाता है कि धर्म नगरी में कुंभ मेले का दिव्य और भव्य आयोजन होगा। उन्होंने कहा की कोविड कि इस महामारी के दौरान सरकार के साथ संतों की भी बड़ी जिम्मेदारी है।
उनका प्रयास रहेगा कि कुंभ के दौरान वह अपनी जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाएं ताकि कुंभ में आने वाले कोविड के खतरे से दूर रहें। मेला अधिकारी दीपक रावत ने कहा कि धर्मध्वजा की लकड़ी को हरिद्वार लाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती थी। सबसे पहले लकड़ी के चयन के लिए वन विभाग की सभी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती है। इसके बाद इसका ट्रांसपोर्टेशन किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन सकुशल यह लकड़ी हरिद्वार पहुंची, इसके लिए प्रशासन की टीम बधाई की पात्र है।